वाराणसी

ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने महर्षि दयानंद सरस्वती की पुण्यतिथि पर आज उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की । उन्होंने कहा महर्षि दयानंद सरस्वती एक महान समाज सुधारक, आधुनिक भारत के चिंतक तथा आर्य समाज के संस्थापक और वेदों के विद्वान थे। उन्होंने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ जैसे क्रांतिकारी ग्रंथ की रचना करके समाज को अंधविश्वास के विरुद्ध खड़ा होने को प्रेरित किया तथा जातिवाद, बाल विवाह और छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने “स्वराज” का नारा दिया, जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। उन्होंने जन सामान्य को वेदों की ओर लौटने का नारा दिया तथा कर्म सिद्धांत पुनर्जन्म और संन्यास को अपने दर्शन का मजबूत स्तंभ बनाया।वह आध्यात्मिक ज्ञान को सर्वोच्च ज्ञान मानते थे, जो वेदो में निहित है।परंतु हर तरह के ज्ञान को तर्क की कसौटी पर कसना दयानंद जी की विशेषता थी। वह सच्चे संत और महर्षि थे, उनके द्वारा प्रतिपादित आदर्श विचार सदैव प्रासंगिक रहेंगे।




