Varanasi news:अघोरेश्वर महानिर्वाण दिवस श्रद्धा एवं भक्तिमय वातावरण में मनाया गया

पड़ाव/वाराणसी

अघोरेश्वर महानिर्वाण दिवस श्रद्धा एवं भक्तिमय वातावरण में मनाया गया बुधवार, 29 नवम्बर गंगातट, पड़ाव स्थित अघोरेश्वर महाविभूति स्थल के प्रांगण में परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी का 32वाँ महानिर्वाण दिवस बाबा भगवान राम ट्रस्ट, श्री सर्वेश्वरी समूह एवं अघोर परिषद ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं अघोरेश्वर महाप्रभु के उत्तराधिकारी पूज्यपाद औघड़ बाबा गुरुपद संभव राम जी के सान्निध्य में श्रद्धा एवं भक्तिमय वातावरण में मनाया गया। इस अवसर पर प्रात:कालीन सफाई श्रमदान के पश्चात लगभग 8:30 बजे पूज्यपाद बाबा गुरुपद संभव राम जी ने अघोरेश्वर महाप्रभु की भव्य समाधि में अघोरेश्वर महाप्रभु की प्रतिमा के समक्ष पुष्पांजलि, माल्यार्पण, पूजन एवं आरती किया। पृथ्वीपाल जी ने सफलयोनि का पाठ किया। तत्पश्चात पूज्य बाबा ने हवन का कार्यक्रम संपन्न किया।
लगभग 11:30 बजे एक विचार-गोष्ठी पूज्यपाद बाबा गुरुपद संभव राम जी के सान्निध्य में आयोजित की गयी। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पूज्य बाबा ने अपने आशीर्वचन में कहा-
हम सतर्क और सजग रहें और अपने आत्मबल को बढ़ाएं

  • औघड़ गुरुपद संभव राम
    आज इस अवसर पर एकत्रित होकर हमलोग परमपूज्य अघोरेश्वर द्वारा दर्शाए गए मार्ग का चिंतन-मनन कर रहे हैं कि हमारा यह मनुष्य जीवन कैसे बहुत सरलता से, आनंद से, खुशी-खुशी बीत जाय| परमपूज्य अघोरेश्वर के बारे यदि हम कुछ भी कहते हैं तो वह भी एक अपराध ही करते हैं, क्योंकि उनकी कोई सीमा नहीं है| कोई ऐसा कण नहीं है जहाँ वह विद्यमान नहीं हों| यह महानिर्वाण दिवस का मतलब आवागमन से छुटकारा पाना| इस संसार में जीव जीवस्य भोजनम्, यही मार-काट, लूट-पाट मचा हुआ है| एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर हमलोग आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, एक-दूसरे का सबकुछ छीनकर अपनी सम्पन्नता का सपना देख रहे हैं| यह संसार में देखा गया है कि सब चीजें उपलब्ध होने पर भी हमारी इच्छाएँ कभी समाप्त नहीं होती हैं और हम उस महामाया के मोह के बंधन में अपने-आप को स्वयं ही फँसाते चले जाते हैं| आधुनिकता का यह जो आवरण है वह हमारी आने वाली पीढ़ी के मन-मस्तिष्क पर पड़ रहा है जो अपने और उनके ह्रास का कारण है| हम उन्नति करें, विश्व के साथ हमलोग रहें और उससे आगे भी बढ़ने की कोशिश करें, लेकिन दुर्भाग्य से हमलोग अपने उन महापुरुषों को, संतो को, अपने संस्कारों को, अपनी संस्कृति को भुला दे रहे हैं| अपने इस भारत वर्ष में ही रहकर कई लोग इसकी उन्नति ना करके उसी को लूटने का प्रयास कर रहे हैं| दीमक की तरह अपने ही इस देश को, राष्ट्र को चाट जाने पर आमादा हैं| इतना ज्यादा टैक्स भी है, इतनी महंगाई है इसके बाद भी कोई काम बगैर लिए-दिए नहीं होता है| भारतमाता की जय भी बोलते हैं, टीका और त्रिपुंड लगा लेते हैं, गेरुआ भी पहन लेते हैं, सफ़ेद भी पहन लेते हैं, लेकिन कर्म वही हैं| जिनको हम भारतमाता कहते हैं, जो सर्वेश्वरी हैं जिनके लिए लड़कर अनेकों हमारे वीरों ने अपने प्राण त्याग दिए| वह किसके लिए ? हमारे और आपकी सुरक्षा के लिए कि हम यहां अच्छी तरह जीवन जी सकें, आराम से, सुरक्षित रह सकें| उन्होंने अपने प्राणों की भी चिंता नहीं की| राष्ट्ररक्षण के लिए, हमारे और आपकी रक्षा के लिए उन्होंने हंसी-हंसी अपने प्राणों को त्याग दिया| वही काली का स्वरूप है जिनको मुंड माला पहने दिखाया जाता है तो वह उन्हें वीरों की मुंडमाला पहने हैं| वह कोई साधारण मनुष्यों की मुंडमाला नहीं है| जो वीरगति को प्राप्त हुए हैं, देश के लिए लड़े हैं, उनमें विचित्र प्रेरणा रही है| अपने सब कुछ से हमलोगों को कितना लगाव है, कितना आकर्षण है, कितना मोह है, कितना लोभ और एक वह लोग हैं जो हँसते हँसते वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं, उनके बारे में सोचिए| हम यहाँ अपने देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं, अपने साथ तो गद्दारी कर ही रहे हैं| अज का कर्म कल का भविष्य| लेकिन हमलोग इस दुर्लभ मनुष्य योनि को जो आवागमन से मुक्त होने के लिए हमें प्राप्त हुई है उसको व्यर्थ कर दे रहे हैं| इसके दोषी हम स्वयं हैं| अपने-आप में जब हम नहीं रहेंगे, परकाया प्रवेश करेंगे, अनर्गल लोगों का चिंतन करेंगे तो हम भी वैसे ही होंगे| ऐसे लोगों के साथ उठेंगे-बैठेंगे, ऐसे चित्रों को, चलचित्रों को देखते रहेंगे तो विकृति आना तय है| साधु कोई वेशभूषा से नहीं होते हैं, साधुताई आपमें भी है, आपलोगों के बीच में जो लोग हैं उनमें भी होती है| साधुताई वह होती है जिनके पास चरित्र होता है, जो अहंकाररहित होता है| हमको वीर्य संरक्षण करना है जिसके कारण आकर्षण हममें उत्पन्न होता है| वह गुरु, वह शुक्र का संरक्षण करेंगे तभी हमलोग को ज्ञात हो पाएगा, वह स्थिरता मिल पाएगी, अपने-आप को पहचानने की शक्ति मिल पाएगी| गुरुजनों, महापुरुषों की वाणियों को सुनकर उस पर चलने की प्रेरणा मिल पाएगी| हम रोते-कलपते रहते हैं, प्रताड़ित रहते हैं| परमपूज्य अघोरेश्वर ने जो सुख के भंडार हमारे सामने रखा है हम उसकी अनदेखी करते हैं| अपने कर्तव्य से च्युत होने के लिए नहीं कह रहा हूँ| अपने सारे कर्तव्य आप जैसे हैं, जिस परिस्थिति में हैं, उसको आप करते रहिए| लेकिन उस चीज को समझिए कि हमारे इस जीवन का अंतिम लक्ष्य है मोक्ष को प्राप्त करना| यदि हम वैसे रहेंगे, हमारा स्वभाव वैसा रहेगा, हमारा आचरण सही रहेगा, हमारा व्यवहार ठीक रहेगा, हमारी मानसिकता सही रहेगी और हम उन्हीं के बारे में चिंतन करते रहेंगे- चाहे हमारे गुरु हों, हमारे भगवान हों, भगवती हों कि वह हमारे साथ हैं, हर पल हमारे साथ हैं तो वह ले जाकर आपको स्वयं अपना परिचय करा देंगे| अपने सारे कर्मों को करते हुए आप उसमें निरंतर लगे हुए हैं, मन से, अपनी भावनाओं से उनके साथ लगे हैं तो वह आपको अपने से परिचित करा देंगे| और जब वह अपने आप को आप में परिचित करा देंगे तो हमलोग भी वही हो जाएंगे जो वह हैं| वह अपने-आपमें हमको समावेश कर लेंगे तो हम भी उस परा-प्रकृति की प्रकृति में अपनी प्रकृति को देखने लगेंगे, महसूस करने लगेंगे, अनुभव करने लगेंगे| और जब तक हमें अनुभव नहीं होगा तो हमलोग केवल बातें सुनकर, सपने देखकर, ख्याल करके, सोच कर यह सब नहीं प्राप्त होता है| उसके लिए हमें प्रयत्नशील होना है| देख ही रहे हैं कि इस पूरे विश्व में इतना युद्ध, लड़ाई हो रहा है| धर्म-मजहब के नाम पर कितना खून खराबा, मार-काट हो रहा है| यहां हमारे देश में भी कुछ ऐसे विकृत मानसिकता के लोग हैं जिनको वैसा ही दिखाई देता है, वैसे ही सुनाई देता है, वैसे ही पढ़ाया जाता है, वैसे ही सिखाया जाता है| तो यह सब अपना-अपना सिक्का जमाने के लिए लोगों को बेवकूफ बनाया जाता है| ईश्वर यह नहीं कहता कि किसी की हत्या कर दीजिए, किसी को लूट लीजिए, किसी को प्रताड़ित कर दीजिए| यह एक धोखा है, धोखे की टट्टी में हमलोगों को रखे हुए हैं| इस तरह की जो बातें करते हैं वह सब धोखा है वह उसमें ऐसा कुछ नहीं है चाहे वह जिस किसी भी नाम से पुकारा जाता हो- ईश्वर, भगवान, भगवती, अल्लाह या गाड जो भी कहते हैं| हमलोग अपने कृत्यों से उसको खूनी भी बना दिए हैं, उसको लुटेरा भी बना दिए हैं| वास्तविकता यह है कि उसमें कुछ नहीं होता| वह हां और ना के बीच में है| वह करने और ना करने के बीच में है| वह सर्वत्र है| उसको प्राप्त करने के उपाय भी बताए गए हैं कि हमलोग अपनी कमजोरियों को छोड़ें| जब तक वह लगी रहेगी तब तक हममें ना जागरुकता आएगी, ना चैतन्यता आएगी और ना ही उस पथ को हमलोग प्राप्त कर सकते हैं| तो मुझे आशा है कि आपलोग अपने देश में, विदेश में, विश्व में वह सब चीज देख रहे हैं, उससे भी प्रेरणा लें| मनुष्य योनि को छोड़ने के बाद कौन सी योनि मिलेगी ? हमलोग देखते हैं कि एक-दूसरे को खाने वाले जानवर भी हैं, एक-दूसरे को मारने वाले शाकाहारी भी हैं, एक-दूसरे को नुकसान पहुंचा वाले मनुष्य भी हैं| दीखते हैं मनुष्य की शक्ल में, लेकिन वह मनुष्य हैं नहीं| विशेष कर मनुष्य का तो बहुत बड़ा महत्व है| लेकिन हमें अपनी रक्षा का भी उतना ही ख्याल रखना होगा जिसे और लोगों ने भी इंगित किया है कि हमलोग इतने सरल भी ना हो जायं कि कोई हमारा दुरुपयोग भी कर ले, आकर हमको मार भी दे| हमको तो सजग रहना होगा| मैं इसलिए कह रहा हूं कि एक वाकिया अभी हुआ है| हमारे इसी स्थल पर नवरात्रि का अष्टमी का पर्व था और लोग यहां जो थोड़े से साधक लोग थे अपनी साधना में, शांतिपूर्ण ढंग से लगे हुए थे और उस बीच में एक गिरोहबद्ध तरीके से लोग आते हैं अपने को किसी पार्टी का बताते हैं, जैसे नहीं बेवकूफ बनाकर हांक दिए जाते हैं सब पार्टी में कि जाके लड़ो-मरो, हम तो नेता रहेंगे और हम आराम करेंगे| वैसे ही हांक के ले आए| और वह जो आयोजन होते हैं उसकी सरकार से शासन से प्रशासन से आज्ञा ली जाती है, लेकिन उन्होंने वह भी नहीं ली थी, हम लोगों के यहां आए, हम लोगों से भी नहीं ली थी| और ऊपर से ताला तोड़कर, घुसकर यहां शांतिप्रिय लोग जो अपना जाप, पूजा-पाठ अष्टमी के दिन कर रहे थे उनसे मारपीट भी किये| उसमें कुछ ऐसे उस महकमे के पुलिस के अधिकारी भी हैं, सब ऐसे नहीं होते हैं, लेकिन कुछ हैं जो उस महकमे को बदनाम करके महका देते हैं| कहते हैं कि उनके खिलाफ दिए अप्लिकेशन को आप वापस ले लीजिए, जबकि प्रकरण बहुत गंभीर था| या तो उनसे डरते हों या उनसे मिली-भगत हो, उनसे मिले हुए हों या उनके संरक्षण में पल रहे हों| एक ने तो कहा कि आप पर भी काउंटर एफआईआर हो सकता है| आप बताइए शर्म नहीं आती है ऐसे लोगों को| पूरे महकमे को बदनाम कर दे रहे हैं| तो ऐसे भी हैं जो हमारे रक्षक हैं| कपड़ा पहन के दिख रहे हैं कि हमारे रक्षक हैं, लेकिन वही भक्षकों का साथ दे रहे हैं| आतंकी ऐसे ही बनते हैं| उन पर जो धाराएं लगीं उसको बहुत हल्का कर देना है ताकि छूट जायं| उनका मनोबल बढ़ता है तो ऐसे ही लोग आगे चलकर और गंभीर अपराध करते हैं| इस कलयुग में ऐसा ही है| लेकिन मैंने इस बात को इसलिए कहा कि हमलोग शांतिप्रिय हैं, शांतिप्रिय तरीके से रह रहे हैं, शांतिप्रिय रहें, लेकिन अपनी सुरक्षा का हर एक उपाय मनुष्य को अब अपने से देखना पड़ेगा| यह लोग भी मिली भगत करके वार करा सकते हैं| तो मेरा आपसे यही कहना है कि अपनी सुरक्षा के उपाय आपको रखने होंगे ताकि ऐसी कोई घटना घटे तो मुंह तोड़ जवाब दिया जाए| चाहे वह हजार लोग हों आप दस ही लोग हों तब भी आप भारी पड़ेंगे| हम सतर्क रहेंगे तब और हम आत्म बल से ओतप्रोत रहेंगे तब| हम ऐसे कृत्यों को ना करें| हम उस ईश्वर के प्रति, अपने गुरु, अपने इष्ट के प्रति बराबर हम लोग लग रहें, उनको महसूस करते रहें कि वह भी हमारे साथ हैं तो भीड़ भी कुछ नहीं कर सकता है| लेकिन वैसे हों हमलोग| मैं देखता हूं कि कमजोरियाँ हममें भी हैं| हम एक-दूसरे से प्रेम नहीं कर सकते| दुश्मनी कर लिए तो उसको पूरा जीवन निभाएंगे| बेवकूफी है लेकिन करेंगे| मूर्खता है लेकिन करेंगे| मुझे आशा है कि आप उन महापुरुषों की, अघोरेश्वर की जो वाणियाँ हैं, बातें हैं, उनको समझेंगे, धारण करेंगे और उसको करने का प्रयत्न करेंगे, तभी हमलोग कुछ पाएंगे और वह स्वयं हमें बता देंगे, वह स्वयं हमें मिला देंगे| हमें कहीं नहीं जाना होगा खोजने के लिए| यही प्रेरणा परमपूज्य अघोरेश्वर ने हमें दी है| उन्होंने कहा था मैं तो बहुत कम समय के लिए आया हूं, ज्यादा समय के लिए मैं नहीं आया हूं| वह इतना हमलोगों को दे गए हैं, बता गए हैं| हमलोग अपने भंड-मूर्ख तो हैं नहीं कि यह सब एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देंगे, उस पर चलने का भी कोशिश नहीं करेंगे| तो अपने आत्मबल को आप लोग बढ़ाईये, अपने में श्रद्धा और अटूट विश्वास को रखिए, अपने कर्तव्यों को करते रहिए| जैसा समय काल, परिस्थिति है उस हिसाब से चलिए| इसी के साथ में अपनी वाणी को विराम देता हूं आप सभी में बैठे हुए उस अज्ञात को प्रणाम करता हूं| जय मां सर्वेश्वरी|
    इस गोष्ठी की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवाओं के अवकाशप्राप्त अपर निदेशक डॉ० वी०पी० सिंह जी ने की। वक्ताओं में श्री सर्वेश्वरी समूह के उपाध्यक्ष डॉ० ब्रजभूषण सिंह जी, प्रचार मंत्री पारसनाथ यादव जी, जशपुर में कार्यरत वरिष्ठ सर्जन डॉ० आर.के. सिंह जी, अ०प्रा० कर्नल लोकेन्द्र सिंह विस्ट जी, डॉ० बामदेव पाण्डेय जी, श्री भोलानाथ त्रिपाठी जी थे। यशवंत नाथ शाहदेव जी ने मंगलाचरण किया और श्री मानवेन्द्र सिंह जी ने गोष्ठी का संचालन किया। श्री सर्वेश्वरी समूह के मंत्री डॉ० एस०पी० सिंह जी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
    गोष्ठी के उपरांत लगभग 3 बजे से पूज्यपाद औघड़ बाबा गुरुपद संभव राम जी ने परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी की समाधि की पांच परिक्रमा करते हुए “अघोरान्ना परो मन्त्रः नास्ति तत्त्वं गुरोः परम्” का चौबीस (24) घंटे के अखंड संकीर्तन का शुभारम्भ किया, जिसका समापन गुरुवार दिनांक 30 नवम्बर को पूज्य बाबा जी द्वारा आरती पूजन के साथ होगा।