सर्वप्रथम कार्यक्रम के मुख्य अतिथि धर्मेन्द्र तिवारी (गवर्नमेंट अप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड), महाविद्यालय की निदेशक प्रो. कल्पलता पांडेय तथा डॉ. अरूण कुमार दुबे ने मां सरस्वती व आचार्य पंडित सीताराम चतुर्वेदी जी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ कियें।
वाराणसी
महाविद्यालय की निदेशक प्रो. कल्पलता पांडेय ने मुख्य अतिथि को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह व पौधा देकर उनका सम्मान किया।
मुख्य अतिथि ने विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “विश्व पर्यटन दिवस” 27 सितम्बर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन के द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व में इस बात को प्रसारित तथा जागरूकता फैलाने के लिए है कि किस प्रकार पर्यटन वैश्विक रूप से सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा आर्थिक मूल्यों को बढ़ाने में तथा आपसी समझ बढ़ाने में सहायता कर सकता है। उन्होंने बताया कि पर्यटन ही एक ऐसा व्यवसाय है, जो प्रदूषण रहित है। उन्होंने व्यास मंदिर सहित काशी के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि यात्रियों की भीड़ की समस्या को कम करने के लिए अन्य पर्यटन स्थल के बारे में भी लोगों को जागरूक करना जरूरी है।
महाविद्यालय की निदेशक प्रो. कल्पलता पाण्डेय ने बताया कि पर्यटन व्यवसाय में असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि रूस, यूक्रेन, इजराइल, हमास, लेबनान, ईरान में युद्ध के कारण पर्यटन व्यवसाय को बहुत नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत में आने वाले अधिकांश पर्यटक उत्तर प्रदेश जरूर आते हैं, भारत में यूपी का स्थान पर्यटन की दृष्टि से तीसरा है।
मोनालिसा जी, डॉ. रजनी श्रीवास्तव तथा महाविद्यालय की छात्राओं ने भी इस अवसर पर अपने-अपने विचार व्यक्त कियें।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण डॉ. प्रतिमा राय तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ.अरूण कुमार दुबे ने किया।
संचालन लक्ष्मी ने किया।कार्यक्रम में मोनालिसा जी, डॉ. सूर्य प्रकाश वर्मा, दीपक कुमार गुप्ता, वरुण अग्रवाल, लवकेश तिवारी, चंचल ओझा, शाहिना परवीन आदि शिक्षक–शिक्षिकाएं तथा छात्राएं उपस्थित रहें।