Varanasi news:देश में 74 साल बाद होने वाली जाति जनगणना से वंचित समाज को मिलेगा न्याय:अशोक विश्वकर्मा

वाराणसी


वाराणसी।ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने बताया है कि देश में 74 साल बाद मोदी सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराये जाने की घोषणा की गई है।उन्होंने कहा कि लंबे समय से जाति जनगणना के मुद्दे पर देश के विपक्षी दलों द्वारा मोदी सरकार की घेराबंदी कर लगातार संघर्ष किया जा रहा था। जिसके फल स्वरुप मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि जातीय जनगणना से वंचित समुदायों की स्थिति स्पष्ट होगी।जिससे उन्हें लक्षित सामाजिक और आर्थिक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा, तथा देश में आरक्षण नीतियां प्रभावी ढंग से लागू हो सकेंगी। इसके साथ ही जातीय जनगणना से पिछले 75 वर्षों में हुई ऐतिहासिक सामाजिक असमानता और अन्याय उजागर होगा।
उन्होंने कहा जातीय जनगणना का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए हो सकेगा,जिसमें सामाजिक-आर्थिक विकास, आरक्षण और सामाजिक न्याय शामिल हैं।
उन्होंने कहा जातीय जनगणना से विभिन्न जाति समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता लगेगा। जिससे नीति निर्माताओं को इन समूहों के लिए विशिष्ट नीतियां एवं आरक्षण की सीमा को निर्धारित करने में मदद मिलेगी।
जातीय जनगणना से उन समूहों की पहचान करना आसान होगा, जो ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित और हाशिए पर रहे हैं, जिससे उनके लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा जातीय जनगणना का उपयोग कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जा सकेगा,जिससे सामाजिक न्याय, विकास और समावेशी नीतियों को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि 1931 के बाद से अब तक भारत में जातिगत जनगणना नहीं हुई है. हालांकि 1951 से दलितों और जनजातियों की गणना होने लगी थी. आगे चलकर जैसे-जैसे जाति आधारित राजनीति बढ़ी, जातीय जनगणना की मांग भी बढ़ी।
जनगणना का उपयोग सरकार, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और अन्य लोगों द्वारा भारतीय आबादी का आकलन करने, संसाधनों तक पहुँच बनाने, सामाजिक परिवर्तन की रूपरेखा और परिसीमन तय करने के लिये किया जा सकेगा।
देश में जातीय जनगणना दो फेज में कराई जाएगी. इसका पहला चरण एक अक्टूबर 2026 से शुरू होगा. वहीं दूसरे चरण की शुरुआत एक मार्च 2027 से शुरू होगा।