Chandauli news:फ्लोरेंस स्कूल में शिक्षक दिवस पर काटा केक, महान शिक्षा शिल्पी थे सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन : अशोक विश्वकर्मा।

चंदौली

दीनदयाल उपाध्याय नगर, (दुलहीपुर/पड़ाव)। फ्लोरेंस स्कूल में शिक्षक दिवस सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन की जयंती पर शिक्षकों के सम्मान में केक काटकर धूमधाम से मनाया गया। डॉ. राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। छात्र-छात्राओं ने अपनी कक्षा को सुंदर और आकर्षक ढंग से सजाया तथा शिक्षकों को तिलक लगाकर सम्मानित किया।
इस मौके पर विद्यालय के प्रबंध निदेशक अशोक कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. राधाकृष्णन महान शिक्षा शिल्पी थे। भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही उनके जन्मदिन 5 सितंबर को भारत वर्ष में शिक्षक दिवस शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाता है। डॉक्टर राधाकृष्णन ने सिद्ध किया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन्होंने न केवल महान शिक्षाविद् के रूप में ख्याति प्राप्त की, बल्कि देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया। स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बचपन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शुरुआती जीवन तिरुतनी और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर ही बीता। वह बचपन से ही मेधावी छात्र थे। अपने विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने बाइबल के महत्वपूर्ण अंश याद कर लिए थे, जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान भी प्रदान किया गया था। उन्होंने वीर सावरकर और विवेकानंद के आदर्शों का भी गहन अध्ययन किया था। सन् 1902 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की, जिसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की गई। कला वर्ग में स्नातक की परीक्षा में वह प्रथम आए।उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर किया और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए। डॉ. राधाकृष्णन ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शनशास्त्र से परिचित कराया। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के ज्ञानी, महान शिक्षाविद, दार्शनिक, और वक्ता होने के साथ ही विचारक भी थे। राधाकृष्णन ने अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में बिताए।राधाकृष्णन की योग्यता को देखते हुए उन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया था। शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने महान् दार्शनिक शिक्षाविद् और लेखक डॉ. राधाकृष्णन को देश का सर्वोच्च अलंकरण “भारत रत्न” प्रदान किया। डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन सामाजिक बुराइयों को हटाने के लिए शिक्षा को ही कारगर मानते थे। शिक्षा को मानव और समाज का सबसे बड़ा आधार मानने वाले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शैक्षिक जगत में अविस्मरणीय व अतुलनीय योगदान रहा है। उच्च पदों पर रहने के दौरान शैक्षिक क्षेत्र में उनका योगदान सदैव बना रहा। शिक्षा के क्षेत्र में उनके कार्यों की वजह से आज भी उन्हें एक आदर्श शिक्षक के रूप में याद किया जाता है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से को ऑर्डिनेटर राकेश कुमार सिंह, प्रीति पटेल, शबाना परवीन, रुखसार, बाबू भाई, आदि लोग उपस्थित थे।

Varanasi news:आचार्य सीताराम चतुर्वेदी महिला महाविद्यालय में भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति रहें डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिवस के उपलक्ष में आयोजित शिक्षक दिवस का कार्यक्रम हर्षोल्लास से मनाया गया।