Varanasi news:अंबेडकर के आदर्शों को पिछड़ा समाज करे आत्मसात:अशोक विश्वकर्मा।

अंबेडकर के आदर्शों को पिछड़ा समाज करे आत्मसात:अशोक विश्वकर्मा

वाराणसी


ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पुण्य तिथि परिनिर्वाण दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि बाबा साहब शोषित,वंचित,उपेक्षित सर्वहारा समाज के सच्चे हितैषी,उध्दारक और मसीहा थे। उन्होंने ही संविधान के अनुच्छेद 340 धारा में ओबीसी की पहचान एवं गिनती कर संख्या के अनुपात में आरक्षण का प्रावधान कर मुख्य धारा से जोड़ने का पहल किया था। सन् 1928 में बाम्बे प्रान्त के गवर्नर ने ब्रिटिश अधिकारी स्टार्ट की अध्यक्षता में पिछड़ी जातियों के लिए एक कमेटी नियुक्त की थी।इस कमेटी में डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर ने ही शूद्र वर्ण से जुडी जातियों के लिए “Other Backward Cast ” शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किया था, जिसको सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई जाति के रूप में आज हम पहचानते हैं। पिछड़ों के हित के सवाल पर कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले बाबा साहब भारत के एकमात्र नेता थे। बंगाल से नेपाल तक लोहार जाति अनुसूचित जाति में शामिल है,तथा कई राज्यों में लोहार पिछड़ी जाति में आते हैं। आज दलित बहुजनों की कई जातियां कहीं दलित वर्ग में शामिल है तो कहीं पिछड़ा वर्ग में है। ऐसे में अंबेडकर सरीखे महान विचारक के लिए यह समझना कठिन नहीं था कि दलितों के सामुदायिक हित तभी साधे जा सकते हैं, जब उनका विस्तार अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों तक किया जाए। डॉ आंबेडकर शोषित वंचित सर्वहारा और बेजुबान लोगों की आवाज थे। उन्होंने असमानता और भेदभाव के खिलाफ आजीवन संघर्ष किया तथा हमें न्याय की मांग करना और अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया।डॉ अंबेडकर ने सामाजिक आर्थिक राजनीतिक शैक्षणिक धार्मिक औद्योगिक संवैधानिक क्षेत्र में कई ऐसे कार्य किए हैं जिन्हें हमेशा याद रखा जायेगा।